मा के झनन-झनन कर वीणा
सुर अनुरागिनी वीणा-वादिनी
दात्री सिद्धि नवीन ||
रजित शवेत कमल दल ऊपर
शवेत बसन शवेतांगी
शवेत प्रकाश विकास करी मा
हमहुँ शवेत वर मांगी
निर्मल ज्ञान पाबि निर्मलमन
रही सतत पद-लीना ||
मा के…..
ज्ञानागार सार संसारक
अंधकार बिच चंदा
सरस्वती-पद-विमुख अंध अछि
पडि अज्ञानक फन्दा
कृपापात्र-अंतर आलोकित
विद्या-बुद्धि प्रवीण ||
मा के…..
शेष गणेश महेश करथि
गुणगान अहांकेर माता
देल अहींकेर ज्ञानक बल पर
ब्रह्मा-विष्णु विधाता
सदय शारदे होउ ‘चन्द्रमणि’
हम बालक मतिहीना ||
मा के…..
-चन्द्रमणि
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